प्रसिद्ध पार्श्वगायिका एस जानकी को भारत सरकार द्वारा हाल ही में पद्मभूषण सम्मान देने की घोषणा की गई। लेकिन 75 वर्षीय एस जानकी ने इसे बहुत देरी से मिला सम्मान बताते हुए स्वीकार करने से मना कर दिया। इसी मसले पर एस जानकी की ओर से उनके संगीतकार-अभिनेता बेटे मुरली कृष्णा से मनोरमा की बातचीत।
1.एस जानकी ने पद्मभूषण सम्मान क्यों अस्वीकार कर दिया?
-पचपन साल लंबे संगीत कैरियर में क्या वो इससे पहले किसी भी पद्म सम्मान के योग्य नहीं थी? वो 17 भाषाओं में लगभग 17 हजार से ज्यादा गाने गा चुकी हैं बावजूद इसके उन्हें इससे पहले पद्म सम्मान के योग्य नहीं समझा गया। और अब इन पुरस्कारों के मुकाबले उन्हें पसंद करने वालों का प्यार उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान है।
2. आपके विचार से उन्हें ये सम्मान कब मिल जाना चाहिए था?
-अम्मा ने संगीत की कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली , और ना ही शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण है उनके पास, लेकिन अपने कैरियर के शुरुआत में ही उन्होंने नादस्वरम के साथ ताल मिलाते हुए सुब्बय्या रेड्डी के संगीत में श्रृंगार वेले का कठिनतम गीत गाया। हालांकि उन्हें सुर सिंगार सम्मान, साथ ही केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा और आन्ध्र प्रदेश जैसे राज्यों का राज्य सम्मान मिल चुका है। देर से भी भारत सरकार की ओर से उन्हें ये सम्मान कम से कम 10-15 साल पहले मिल जाना चाहिए था। इसके अलावा इस पुरस्कार की सूचना प्रोटोकाल के तहत दी जाती है पर अम्मा के साथ ऐसा नहीं किया गया।
3.दक्षिण भारत की अनदेखी होती है मुख्यधारा में?
-हिन्दी भाषा के अपने फायदे हैं, हिन्दी में किया गया काम पूरे देश में जाना जाता है। दक्षिण भारत की बात करें तो यहां केरल के कलाकारों के बारे में आन्ध्रप्रदेश के लोगों को नहीं पता होता और तमिलनाडू के बारे में कर्नाटक को। हिन्दी का बाजार और पहंुच दोनों विशाल हैं इसलिए पुरस्कारों के नजरिये से इसका पलड़ा भारी रहता है। पी लीलाम्मा का ही उदाहरण लें, वो एस जानकी से वरिष्ठ हैं और उन्होंने ही श्रृंगार वेले गीत के लिए उनका नाम सुझाया था, पर देश में कितने लोग उनके बारे में जानते हैं? ऐसे बहुत से बड़े नाम हैं जिनके काम के बारे में पूरे देश के लोगों को जानकारी नहीं है।
4. सरकार ही नहीं देश की जनता को भी सभी राज्यों के कलाकारों और संस्कृति के बारे में ज्यादा मालूम नहीं होता?
- हां देश के हर हिस्से के लागों को दूसरे हिस्से और वहां के लागों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। ये अपनी साझी विरासत को अगली पीढ़ी तक ले जाने की भी बात है। दरअसल, यहां ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी सरकार और उनके प्रतिनिधियों की है। उन्हें हर राज्य और वहां जो भी उल्लेखनीय काम कर रहा है उसपर फोकस करना चाहिए और सम्मान व पुरस्कारों के संदर्भ में राष्ट्रीय स्तर पर सभी के काम का मुल्यांकन होना चाहिए।
5.दक्षिण भारत में संगीत के कुछ बड़े नामों की राय में एस जानकी को पच्चीस साल पहले ऐसे सम्मान मिल जाने चाहिए थे?
-वो सही कह रहे हैं, 75 साल की उम्र बहुत बड़ी होती है। आप जब पूरी उर्जा से सक्रिय होते हैं तब आपके काम की सराहना होनी चाहिए। कोई व्ह्रीलचेयर पर आ जाएं तब उसे सम्मानित करना मुझे तर्कसंगत नहीं लगता। ये तब मिलना चाहिए जब आप उस ख़ुशी का जश्न मनाने लायक हों।
6. और कौन-कौन हैं, जिनके काम की अब तक अनदेखी हुयी है?
-उर्वशी शारदा, पी सुशीला, एम विश्वनाथन और राममूर्ति ये संगीत के बहुत उंचें नाम हैं। इन्हें बहुत से सम्मान मिले हैं पर राष्ट्रीय स्तर पर इनके नाम और काम को और सराहना मिलनी चाहिए।
7. अब तक के अपने संगीत कैरियर से वो संतुष्ट हैं?
-बिल्कुल! अम्मा 4-5 साल की उम्र से गा रही हैं, कीर्तन से शुरू होकर उनकी संगीत-यात्रा 17 भाषाओं में 17 हजार से ज्यादा गीतों तक पहुंच गयी हैं और अभी भी सक्रिय हैं, 1957 से उन्होंने पार्श्वगायन शुरू किया और तब से लगातार गा रही हैं अस्थमा की गंभीर बीमारी के बावजूद। इस साल भी एक तमिल गीत रिकार्ड हो चुका है। लोगों से बहुत प्यार मिला है जो सबसे बड़ी चीज है।
8.हिन्दी फिल्मों के लिए गाना कैसा अनुभव रहा? वो अपने समकालीनों संपर्क में अब भी है?
-हिन्दी फिल्मों के लिए गाना बहुत अच्छा अनुभव रहा, ओ पी नय्यर साहब ने उनकी आवाज सुनते ही कहा था तुम अब तक कहां थी? मोहम्मद रफी साहब के लिए अम्मा के मन में बहुत सम्मान है। लगभग चार-पांच सौ हिन्दी गाने गाए हैं अम्मा ने । और सबसे अच्छी बात रही बहुतों के बच्चों के साथ भी काम किया मसलन किशोर कुमार और अमित कुमार,येसुदास और फिर उनके बेटे के साथ। लेकिन हिन्दी फिल्मों के लिए 6-7 साल से गाने नहीं गा रही है। लेकिन पिछले 6-7 साल से हिन्दी फिल्मों के लिए गाने नहीं गा रही है। दरअसल, पहले पिता मां का सारा काम संभालते थे और रिकार्डिंग के लिए बार-बार मुंबई जाने से उन्हें काफी परेशानी होती थी, इसलिए वहां जाना ही बंद कर दिया। अभी हिन्दी फिल्म उद्योग के लोगों से उनका लगभग नहीं के बराबर संपर्क है।
9.नयी पीढ़ी के गायक-गायिकाओं में कौन-कौन उन्हें पसंद आ रहे हैं
-नयी पीढ़ी में सभी बहुत अच्छा कर रहे हैं सभी का काम उन्हें अच्छा लगता है इसलिए किसी रियलिटी शो में वो जज बनकर नहीं जाती ताकि अंक न देने पड़ें। वैसे चित्रा, सुजाता, मिनमिनी का गाना उन्हें बहुत पसंद है। शरण और विजय भी पसंद हैं और रहमान, इल्लैय्याराजा और सुब्बय्या रेड्डी का संगीत अच्छा लगता है।
10. कौन सी भाषा में काम करना ज्यादा आसान रहा?
-तेलगू छोड़कर बाकी सभी भाषा अम्मा के लिए अनजानी ही थीं लेकिन पार्श्वगायन के पहले ही दिन उन्होंने तेलगू, तमिल, मलयालम, सिंहली और कन्नड़ भाषा में गाने रिकार्ड किए। दरअसल, वो गीतकार के साथ बैठकर पहले उच्चारण सीख लेती थीं। इसलिए सभी भाषाओं में काम करने में एक सा मजा आया।
11. भविष्य में भारत सरकार भारत रत्न दे ंतो उन्हें स्वीकार होगा?
- इस बारे में अभी कोई टिप्पणी उचित नहीं हैं। वैसे भी वो सम्मान के खिलाफ नहीं हैं बस उन्हें इसके टाईमिंग से शिकायत है। पुरस्कार को लेकर उनके मन में कोई दुर्भावना नहीं है बस इतनी लंबी अनदेखी से उन्हें शिकायत है जिसे उन्होंने जता भी दिया है।
रविकर जी, शुक्रिया आपका!
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