कर्नाटक के बंतवाल तालुके का इरा गांव युं तो भारत के किसी भी आम गांव जैसा ही है पर कुछ बातें इसे न सिर्फ देश बल्कि दुनियां में एक खास गांव बनाती हंै। इरा, आज भारत का पहला प्लास्टिक मुक्त गांव है। प्लास्टिक मुक्त ग्राम होने के अलावा इस गांव की अन्य उपलब्धियां भी काबिलेगौर हैं। इरा को केन्द्र सरकार का निर्मल ग्राम पुरस्कार भी मिल चुका है। संपूर्ण साक्षर और पूर्णत: भ्रष्टाचार व बालश्रम मुक्त इस गांव से पिछले तीन साल से सौ प्रतिशत टैक्स कलेक्शन हासिल हुआ है। इसके अलावा यह देश का पहला डिजीटल ग्राम पंचायत भी है। इरा ग्राम पंचायत दुनियां के अन्य देशों के लिए भी आज रोल-माडल बन चुका है। यूनिसेफ के 20 प्रतिनिधियों की टीम ने भी इस गांव का दौरा किया जिसमें जिम्बाबे, जाम्बिया, नाइजीरिया और इंडोनेशिया जैसे देशाे के प्रतिनिधी शामिल थे।
दरअसल, सरकार और स्थानीय लोगों की भागीदारी से इस छोटे से गांव ने विकास और सफलता की जो बड़ी कहानी लिखी है वह कृष्णा मूल्या और ‘शीना शेट्टी जैसे लोगों और उनके संगठनों के जिक्र के बगैर अधूरी है। कर्नाटक के दक्षिणी कन्नडा जिले में एक दशक से भी ज्यादा समय से काम कर रहे जन शिक्षण ट्रस्ट के कृष्णा मूल्या और शीना शेट्टी बताते हैं सरकार और नागरिक सहयोग से केवल इरा गांव ही नहीं बल्कि पूरे बंतवाल तालुके की तस्वीर अब बदल रही है। वर्ष 2005 में संपूर्ण स्वच्छता आंदोलन के साथ उनके संगठन ने इस क्षेत्र में केन्द्र की एक नोडल एजेंसी के तौर पर काम करना शुरू किया और अपना देश नाम से एक आंदोलन चलाया। मूल्या और ‘शेट्टी बताते हैं अपना देश आंदोलन आदर्श गांव बनाने का आंदोलन है। यह स्थानीय लोगों की भागीदारी से विकास के लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास है जिससे न सिर्फ लोगों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता आयी है बल्कि अपने नागरिक कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदारी की समझ भी पैदा हुई है। दरअसल, अपना देश आंदोलन अपनी स्थानीय समस्याओं को खुद ही हल करने करने का आंदोलन है। वे कहते हैं इरा के कायाकल्प की कहानी की शुरूआत भी वर्ष 2005 में केन्द्र सरकार के संपूर्ण स्वच्छता आंदोलन के क्रियान्वयन के साथ शुरू हुई। जिसका लक्ष्य निर्मल ग्राम और ग्रामीण विकास के सपने को साकार करना था। लेकिन पिछले दो साल से प्लास्टिक के दुष्प्रभाव और इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के अभियान पर काफी जोर डाला गया, स्थानीय लोगों में इसका काफी गहरा असर हुआ, जिसका परिणाम है आज इरा लगभग प्लास्टिक मुक्त गांव बन चुका है। पालीथिन की थैलियां यहां वर्जित है, धार्मिक स्थलों पर भी प्लास्टिक की जगह कपड़े की थैलियों का प्रयोग होता है हांलाकि अभी भी दवाईयों इत्यादि के लिए प्लास्टिक का प्रयोग होता है। इरा गांव के प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र होने का असर भी अब दिखने लगा है, न सिर्फ गांव की हरियाली में इजाफा हुआ है बल्कि पानी भी पूर्णत: प्रदूषन मुक्त हो गया है। शेट्टी और मूल्या कहते हैं इरा गांव की सफलता और समूचे बतंवाल तालुके में आए बदलाव में भरतलाल मीणा और वी.पी बालिगर जैसे प्रशासनिक अधिकारियों की अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके अलावा इलाके के सभी राजनीतिक दलों ने भी दलगत राजनीति से उपर उठकर क्षेत्र के लिए काम किया है और धर्म, जाति व क्षेत्र की राजनीति से अलग विकास की राजनीति की है। नतीजा बंतवाल तालुके के 45 ग्राम पंचायतों में से आज लगभग 20 गांव आदर्श गांव में तब्दील हो चुके हैं।
दरअसल, सरकार और स्थानीय लोगों की भागीदारी से इस छोटे से गांव ने विकास और सफलता की जो बड़ी कहानी लिखी है वह कृष्णा मूल्या और ‘शीना शेट्टी जैसे लोगों और उनके संगठनों के जिक्र के बगैर अधूरी है। कर्नाटक के दक्षिणी कन्नडा जिले में एक दशक से भी ज्यादा समय से काम कर रहे जन शिक्षण ट्रस्ट के कृष्णा मूल्या और शीना शेट्टी बताते हैं सरकार और नागरिक सहयोग से केवल इरा गांव ही नहीं बल्कि पूरे बंतवाल तालुके की तस्वीर अब बदल रही है। वर्ष 2005 में संपूर्ण स्वच्छता आंदोलन के साथ उनके संगठन ने इस क्षेत्र में केन्द्र की एक नोडल एजेंसी के तौर पर काम करना शुरू किया और अपना देश नाम से एक आंदोलन चलाया। मूल्या और ‘शेट्टी बताते हैं अपना देश आंदोलन आदर्श गांव बनाने का आंदोलन है। यह स्थानीय लोगों की भागीदारी से विकास के लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास है जिससे न सिर्फ लोगों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता आयी है बल्कि अपने नागरिक कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदारी की समझ भी पैदा हुई है। दरअसल, अपना देश आंदोलन अपनी स्थानीय समस्याओं को खुद ही हल करने करने का आंदोलन है। वे कहते हैं इरा के कायाकल्प की कहानी की शुरूआत भी वर्ष 2005 में केन्द्र सरकार के संपूर्ण स्वच्छता आंदोलन के क्रियान्वयन के साथ शुरू हुई। जिसका लक्ष्य निर्मल ग्राम और ग्रामीण विकास के सपने को साकार करना था। लेकिन पिछले दो साल से प्लास्टिक के दुष्प्रभाव और इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के अभियान पर काफी जोर डाला गया, स्थानीय लोगों में इसका काफी गहरा असर हुआ, जिसका परिणाम है आज इरा लगभग प्लास्टिक मुक्त गांव बन चुका है। पालीथिन की थैलियां यहां वर्जित है, धार्मिक स्थलों पर भी प्लास्टिक की जगह कपड़े की थैलियों का प्रयोग होता है हांलाकि अभी भी दवाईयों इत्यादि के लिए प्लास्टिक का प्रयोग होता है। इरा गांव के प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र होने का असर भी अब दिखने लगा है, न सिर्फ गांव की हरियाली में इजाफा हुआ है बल्कि पानी भी पूर्णत: प्रदूषन मुक्त हो गया है। शेट्टी और मूल्या कहते हैं इरा गांव की सफलता और समूचे बतंवाल तालुके में आए बदलाव में भरतलाल मीणा और वी.पी बालिगर जैसे प्रशासनिक अधिकारियों की अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके अलावा इलाके के सभी राजनीतिक दलों ने भी दलगत राजनीति से उपर उठकर क्षेत्र के लिए काम किया है और धर्म, जाति व क्षेत्र की राजनीति से अलग विकास की राजनीति की है। नतीजा बंतवाल तालुके के 45 ग्राम पंचायतों में से आज लगभग 20 गांव आदर्श गांव में तब्दील हो चुके हैं।
इरा के कायाकल्प की कहानी तो लाजवाब है -एक प्लास्टिक कचरा मुक्त और निर्मल गाँव !
जवाब देंहटाएंवाह!!.....यदि ऐसा पुरे देश में हो जाये .....तो भारत कि तो काया कल्प ही बदल जायेगी
जवाब देंहटाएंयह तो केवल सपने जैसा है, पर अगर सपना सच हो रहा है तो इससे बढ़िया कोई बात ही नहीं है।
जवाब देंहटाएंअनुकरणीय!
जवाब देंहटाएंjab maine aapki is post ki headline padhi to man mein vichaar aaya ki agar yah bharat ki hi baat hai to nishchit hi yeh gaaon Karnataka mein hoga.Phir do lines padhne ke beech hi apke profile ko dekha to aapko Bangluru ka ka dekha to apne andaaze par poora bharosha hua ki mein theek tha.Hats off to Karnataka pople.Abhi haal mein new yera per 1 week ko mein Banglore and Masore gaya tha.Marvellous arangement.Everything and EVERY OFFICIAL AT HIS PLACE.nEET AND CLEAN .sOCH SHIELA DIKSHIT AUR MANMOHAN AND OTHERS KO KAHUNGA KE VIDESHON ME JAAKA KYA MODEL LAATE HO APNEI dELHI KO HUM bENGLORE AUR mASORE BANA LEIN ITNA HI KAAFI HAI.VAHAAN KE LOGON KO INSAANON KI TARAH RHNA AATA HAI.DHANYAWAD IS WONDERFUL JAANKAARI KE LIYE.MERI TYPING BAHUT KHARAB HAI,DILLI KI TARAH!:-)
जवाब देंहटाएंPlz chck my template now...is it ok????
जवाब देंहटाएंham bhi apna sahayog denge.....sach....!!
जवाब देंहटाएंham logon ne bhi apane star par ek chhota sa prayas shuru karane ka plan banaya hai. Exam khatam ho to mai bhi apni dharti aur prayavaran ke liye samaya nikaalunga
जवाब देंहटाएंanukarniy hai any gaavo aur unke nivaasiyo ki bhi waha se sabak lekar sudhaar karne ki aavshykta hai
जवाब देंहटाएंsaadar
praveen pathik
9971969084
अगले महीने बंगलुरू जाने का प्लान है.. सोचता हूं कि इरा का भी चक्कर लगाना बुरा आइडिया नहीं होगा ...
जवाब देंहटाएंसचमुच बहुत अच्छा आईडिया है, रास्ते में आैर भी बहुत कुछ देखने योग्य है।
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