बुधवार, 21 अप्रैल 2010

कहां कहां से गुजर गया

पंकज कपूर की पहली फिल्म अब शायद थियेटर का मंूह देख सके। शयाम बेनेगल की आरोहन से अपने फिल्मी कैिरयर की शुरूआत करने वाले पंकज इस फिल्म से पहले कहां कहां से गुजर गया में काम चुके थे, पर ये फिल्म आज तक िरलीज नहीं हो सकी। अभिनेता अिनल कपूर भी इस फिल्म में हैं। नक्सल आंदोलन के खत्म हो जाने के बाद लक्ष्यहीन, दिशाहीन हो चुके युवाआें की यह कहानी गरम हवा जैसी कालजयी फिल्म बनाने वाले फिल्मकार  एम . एस. सत्थयू  ने 1981 में बनायी थी। लगभग एक दशक के बाद कन्नड़ फिल्म इज्जोडू से वापसी कर रहे सत्थयू  अगले एक दो महीने में कहां कहां से गुजर गया के िडब्बे से बाहर िनकल िथयेटर में आने की उम्मीद कर रहे हैं।
नक्सल आंदोलन के खत्म होने के बाद युवाआें में उपजी िदशाहीनता के बारे में बात करने वाली यह फिल्म अब कितनी प्रासंिगक है इसके बारे में सत्थयू कहते हैं आज फिर नक्सल आंदोलन अपने चरम पर है आैर सरकार के िलए कानून आैर व्यवथा के स्तर पर सबसे बड़ी समस्या। इतने सालों में न तो सरकार का नजिरया बदला आैर न ही यह समस्य  सुलझी। हां हमें भी यह अंदाजा नहीं था कि सरकार इतने लंबे समय में भी इस समस्या को सुलझा नहीं सकेगी। बहरहाल, कहां कहां से गुजर गया नक्सल आंदोलन के कमजोर पड़ने के बाद की कहानी है आज के युवा इससे कितना िरलेट करेंगे ये तो मैं नहीं जानता पर मैंने इस  फिल्म में  उस समय, उस दौर को दर्ज किया है, एक दस्तावेज है वो उस दौर के युवाआें की मनोदशा का। आज के युवा बदल गए हैं, महानगरों आैर बड़े शहरों के युवाआें के िलए नक्सलवाद,   सामािजक आिर्थक  की बात छोड़े  शायद यह कोई समस्या ही न हो । डेवलपमेंट पाकेट में रहने वाले ये युवा उस दौर के शहरों के युवाआें जैसे नहीं  हैं इसलिए देश की समस्याआें पर िरयेक्ट करने का उनका तरीका भी। जो कुछ कर सकते हैं उनमें मेजोरिटी की सोच सरकार जैसी है कि नक्सलवाद महज कानून आैर व्वस्था की समस्या है सामािजक आिर्थक िवषमता, गैरबराबरी या िवकास की दौड़ में हािशये पर छूटे लोगों का िरयेक्शन नहीं। सबसे अफसोसजनक बात तो ये है कि आज तीस साल से भी ज्यादा होने को आए लेकिन महानगरों आैर बड़े बड़े शहरों से इतर दूर  दराज के  लोगों के िलए  अब भी कुछ नहीं बदला। भारत का वो  युवा वहीं हैं, अपने बुिनयादी अिधकारों के िलए  लड़ता हुआ।
 एम . एस. सत्थयू से बाकी बातचीत अगली पोस्ट में

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर


    bahut khub


    shekhar kumawat


    http://kavyawani.blogspot.com/

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  2. Hi Manorama.it was great visiting ur blog n reading articles.Feeling proud:)i m ur prachi di,room 29,mmv.remember.please get in touch thru smita singh as common friend on orkut.tumse kitni baaten karni hain!achcha likhti ho..hamesha ki tarah;)

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