(1)
सुनो.....क्या तुम सुन सकते हो?
मैं चाहती हूँ तुम सुनो मुझे
पता नहीं कब-कब,
क्या-क्या कहते रहे तुम
चलते रहे हम, बढ़ते रहे तुम
थम सी गयी मैं पर....
बड़ी होती गयी मुझमें स्त्री
उफ़! पत्थर सा कठोर है सब आस-पास
फिर भी बचा ही लेती हूँ थोड़ी कोमलता
तुम इतना भी नहीं कर सकते ?
(2)
हिमालय सा ऊँचा हो
तो भी क्या
टूटना पत्थरों की नियति है!
(3)
कुछ अन्धेरें उजालों से ज्यादा रोशन होते हैं,
ये वो अन्धेरें हैं,
जब पता होता है,
एक-दुसरे को देख नहीं सकते
लेकिन यकीन बना रहता है,
एक-दुसरे को देखते रहने का,
उजालें तो सबके पास होते हैं,
ऐसे अन्धेरें सब सहेजते नहीं !
(4)
बैठी रही सारा दिन, वैसे ही,
जबकि करने को बहुत कुछ था
यूँ ही हो गयी दोपहर, फिर हुई शाम,
मैं गयी वहां, जहाँ जाने का कोई अर्थ न था
रही खड़ी वहां , जहाँ खड़ा रहना,
अक्सर व्यर्थ होता है
सुना लोगों की बातों को
जिनका कोई मतलब न था !
(5)
शब्द छु जाते हैं,
चोट करते हैं,
रुला देते हैं
फिर नरमी से,
सहला देते है,
गुदगुदा देते हैं पर..
सबसे ताकतवर होते हैं,
जब भरोसा देते हैं !
(6)
महत्वकांक्षाएं मेरी सिकंदर सी,
निस्पृहता मुझमें बुद्ध सी
या तो सबकुछ मुझे चाहिए
या फिर
कुछ भी नहीं!
(7)
दो मुझे सिर्फ अनुराग
ना तो अतृप्त कामना
और ना ही आवारा बैराग
मैं स्वीकारूं बिल्कुल 'अपने' की तरह
दो ऐसी पीड़ा
करो प्यार ऐसे, मिले दुःख मुझे!
(8)
सौ दुश्वारियां हैं तेरे ख्यालों की ...
रहतें ढूंढती हूँ औरों के फसानों में !
(9)
बहुत लिखा तुमने,
यहाँ की वहां की
बस नहीं लिखा तो....
सरगोशियाँ अपने करीब की !
(10)
पुराने कैलेंडर सहेज कर,
रखने की बुरी आदत है मेरी,
सहेज लिया तुम्हें भी,
ओ पुराने वक़्त
जो गुज़रे हो अभी-अभी
(11)
आना जाना लहरों का,
किनारे न जाने मैं किस सोच में,
तहों में कुछ दब सा रहा है
कहीं....................
सहेज कर रखना किश्तों में,
मेरा, तुम्हें बार बार
जिन्दगी मतलब तुम्हारा
गीले गीले से एहसास
बार बार।
(12)
अनुभवों के अनेकों संस्तरो के बीच
कभी देखा हैं
कहाँ हैं, कैसा हैं
हमारा असली मन ?
बहुत ही सुन्दर क्षणिकायें, पहली बार आपके ब्लॉग पर कविता पढ़ रहा हूँ।
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी शुक्रिया!
हटाएं[2] &[3] very nice presentation . आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें होली की शुभकामनायें तभी जब होली ऐसे मनाएं .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण लिखा है मनोरमा जी!
जवाब देंहटाएंहोली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!
bahut achchha lagaa ...sahaj ho kar likhna...
जवाब देंहटाएंपसंद करने के लिए आभार और शुक्रिया आप सभी का,होली की शुभकानाएं !
जवाब देंहटाएं