बुधवार, 14 अप्रैल 2010

अब आया उंट पहाड़ के नीचे

Published in Public Agenda
कर्नाटक में इन दिनों लोहा फिर गर्म है लेकिन इस बार तस्वीर का रूख कुछ और है। कुछ महीने पहले लोहे की ताकत से येदुरप्पा सरकार की जान अटकाने वाले बेल्लारी के बेताज बदशाह इन दिनों थोड़ा बौखलाए हुए हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सर्वे आॅफ इंडिया की टीम मेजर जनरल ए के पाधा के नेतृत्व में बेल्लारी में अनंतपूर जिले के 6 खनन लीज का सर्वेक्षण कर रही है। जिसमें से तीन ओबुलापूरम माईनिंग कंपनी या ओएमसी के पास है। ओएमसी की एक खान का सर्वेक्षण पूरा कर टीम ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है। इस रिपोर्ट में कुछ अतिक्रमण किए जाने का संकेत है। सर्वेक्षण पूरा होने तक इस क्षेत्र में खनन पर पहले ही अदालत ने रोक लगाया हुआ है। सर्वे आॅफ इंडिया की यह रिपोर्ट रेड्डी बंधुओं के लिए एक बड़ा झटका है। वैसे उनकी बौखलाहट इससे पहले ही दिखनी शुरू हो गई थी जब उनके विरूद्ध मामला दायर करने वाले लोगों पर हमले हुए या उनके खिलाफ आवाज उठाने वाले दहशत के साये में जी रहे हैं।
हाल ही में  बेल्लारी में आठ अज्ञात हमलावरों ने टुम्टी आयरन ओर के मालिक तापल गणेष और उनके भाईयों पर उस समय जानलेवा हमला किया जब वे एक रेस्तरां में सर्वे आॅफ इंडिया की टीम से मुलाकात करने के लिए इंतजार कर रहे थे। उनके साथ कुछ पत्रकार भी थे, उन पर भी हमला किया गया। दरअसल, तापल गणेष वहीं शख्स हैं जिनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बेल्लारी के रेड्डी भाईयों करूणाकर रेड्डी, जर्नादन रेड्डी और सोमशेखर रेड्डी की कंपनी ओबुलापूरम माईंनिंग कंपनी के आन्ध्रप्रदेश के अनंतपूर जिले में खनन कार्य पर रोक लगा दी है। उन्हीं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे आॅफ इंडिया की टीम को यह पता लगाने का आदेश दिया है कि ओएमसी के द्वारा कर्नाटक राज्य के बेल्लारी जिले में उनकी खानों में अतिक्रमण कर अवैध खनन किया गया है और दोनों राज्यों के बीच की सीमा से छेड़डाड़ की गई है साथ ही आरक्षित वन क्षेत्र में भी अतिक्रमण किया गया है। गणेष अपने परिवार के तीसरी पीढ़ी के खननकर्ता हैं। उनकी खानें कर्नाटक में है और रेड्डी बंधुओं की आन्ध्रप्रदेश में, दोनों की सीमाएं आपस में मिलती है। गणेष ने 2006 में यह पुलिस शिकायत दर्ज करायी थी कि रेड्डी बंधु उनकी खानों का अतिक्रमण कर रहे हैं, बाद में 2009 में उन्होंने इसी से संबंधित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की।
इधर, ओएमसी के पूर्व कर्मचारी वी अंजनैया जैसे लोग भी हैं जो इन दिनों दहशत के कारण बंगलूरू में हैं और बाहर लोगों के संपर्क में आने से डर रहे हैं। उनका कसूर केवल यही है कि उन्होंने ओएमसी में उपमहाप्रबंधक के तौर पर काम किया था। ं केन्द्रीय श्रम मंत्रालय और खान सुरक्षा के डायरेक्टर जनरल की ओर से उन्हें प्रथम श्रेणी खनन प्रबंधक प्रमाणपत्र हासिल है। रेड्डी बंधु की ओएमसी का काम उनकी इस योग्यता से बहुत आसान हो जाता था। लेकिन पिछले साल दिसंबर में सीबीआई के द्वारा ओएमसी के दफ्तर पर छापे की खबर के बाद रातों रात अंजनैया के दफ्तर को ओएमसी के द्वारा ही नेस्तनाबूद कर दिया गया। सारे रिकार्ड हटा दिए गए। अंजनैया ने इसी पर सवाल उठाया था। दरअसल, ये सभी वाकये रेड्डी बंधुओं की घबराहट में किए गए पलटवार ही हैं। लेकिन इस मसले पर रेड्डी बंधुओं में से कोई भी कुछ नहीं कह रहा। उनके फोन बंद हैं और उनके सचिव ओएमसी के मुद्दे पर कुछ भी टिप्पणी करने को तैयार नहीं हैं।
दूसरी ओर अपनी पांच सदस्यीय टीम के साथ सर्वेक्षण कर रहे मेजर जनरल ए. के पाधा भी सर्वेक्षण के बाबत अभी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। उनसे संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि मैं कुछ नहीं जानता। हांलाकि उनकी टीम ने बेल्लारी को केन्द्र बनाते हुए हैदराबाद में सैटेलाईट नियंत्रण प्वाइंट रखकर नवीनतम वैज्ञानिक विधि से इस इलाके का सर्वेक्षण किया है। पहली बार इस इलाके का सर्वे आॅफ इंडिया के 1972-73 के मानचित्रों के आधार पर सैटेलाईट सर्वेक्षण किया गया है। जबकि अनंतपूर के मुख्य वन संरक्षक पदनाभन ने जरूर कहा कि पहली बार इलाके का सैटेलाईट सर्वे किया जा रहा है इसलिए कितना समय लगेगा इसके बारे में अभी निष्चित तौर पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। टीम ने फिलहाल आन्ध्रप्रदेश और कर्नाटक के राजस्व और वन विभाग के मानचित्रो साथ ही ओएमसी के 68.5 हेक्टेयर के स्केच का निरीक्षण किया। जहां कुछ हद तक अतिक्रमण पाया है। ताजा सर्वेक्षण का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने आन्ध्रप्रदेश सरकार की उस याचिका पर दिया है तहत आन्ध्र सरकार ने हाई कोर्ट में सर्वेक्षण की अपनी याचिका के खारिज हो जाने और खनन पर रोक हटा देने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
दरअसल, 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कर्नाटक के राजस्व मंत्री जनार्दन रेड्डी और पर्यटन मंत्री करूणाकर रेड्डी के स्वामित्व वाली कंपनी ओबुलापुरम माईनिंग कंपनी और तीन  अन्य कंपनियों के इस क्षेत्र में खनन कार्यो पर रोक लगा दी थी। और आरोपों की जांच के लिए एक समिति नियुक्त कर उसे दो सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया। जस्टिस के जी बालाकृष्नन, और जस्टिस दीपक वर्मा की खंडपीठ ने संरक्षित वन क्षेत्र में ओएमसी के अतिक्रमण की जांच का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने 9 अप्रैल तक पहले ओएमसी के 68.5 हेक्टेयर वाले एक खान की सर्वे रिपोर्ट सौंपने को कहा था। इस बीच ओएमसी के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत से बाकी दो खानों में खनन जारी रखने की अनुमति की निवेदन किया। लेकिन अदालत ने कहा कि खनन की अनुमति तभी मिलेगी जब यह सुनिष्चित हो जाएगा कि ओएमसी ने लीज क्षेत्र और वन क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं किया है। साथ ही सभी लीज क्षेत्र में सर्वेक्षण कार्य पूरा होने तक कोई खनन गतिविधि नहीं हो सकेगी। गौरतलब है कि ओएमसी के दो अन्य लीज क्षेत्र क्रमषः 25.98 हेक्टेयर और 39.5 हेक्टेयर के हैं। ओएमसी के बाद बेल्लारी आयरन ओर लिमिटेड, वाई.एम सन और अनंतपूर माईनिंग काॅरपोरेशन के लीज क्षेत्र का सर्वे किया जाएगा।
इधर येदुरप्पा सरकार की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तापल गणेष पर हुए हमले के बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह, और डायरेक्टर जनरल व इंस्पेक्टर जनरल आॅफ पुलिस को बेल्लारी के एस पी श्रीमंत कुमार सिंह को वहां से हटाने का आदेष दिया था लेकिन इस आदेष का पालन नहीं हुआ। अब राज्य मानवाधिकार आयोग  राज्य सरकार को इस मुद्दे पर नोटिस भेजने का मन बना रहा है। इधर ओएमसी के अतिक्रमण जैसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं हमारा कोई भी कदम उस फैसले के अनुरूप ही होगा।

5 टिप्‍पणियां:

  1. Adha hi padh pa raha hun....

    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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  2. वाकई ऊंट पहाड़ के नीचे आया है।

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  3. Aise Log Hindustaan ki Janta pe Raaj Karein yehi Hindustan ki Kismat mein hai. Hegde Sahab Apne Jaise Logon ki Fauj Khadi Karo aur Hindustan ka Uddhar Karo Please.

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  4. Lekin Unt bahut bada ho gaya hai bhai. Uski Pahunch bahut upar tak hai. Kuchh Bigadega iska???

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  5. कर्नाटक का खदान माफिया इतना बढ़िया है कि एक दिन कर्नाटक को भारत के नक़्शे से ही ग़ायब कर देगा ये, और इसकी जगह अरब सागर होगा.

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